नई आबकारी नीति के प्रावधानों पर कैबिनेट बैठक में मंत्रियों ने कड़ी आपत्ति कर दी है। खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने कहा कि जिलों में जिस क्लस्टर के हिसाब से दुकानों को आवंटित करने की बात हो रही है, उससे शराब की निर्माता कंपनियों को सीधा फायदा होगा और स्मगलिंग भी बढ़ेगी। सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह, खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और ग्रामोद्योग मंत्री हर्ष यादव ने कहा कि शराब की उप दुकानें खोली जाती हैं तो पार्टी की बदनामी होगी, लोगों में शराब की लत बढ़ेगी।
मंत्रियों की इस आपत्ति को देखते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तल्ख लहजे में कहा, थोड़े-बहुत फायदे के लिए ऐसा कुछ भी नहीं होना चाहिए, जिससे जनता में गलत मैसेज जाए। मुख्यमंत्री ने वाणिज्यिक कर मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर और अपर मुख्य सचिव आईसीपी केशरी से कहा कि मैं खुद आबकारी नीति के हर मिनट्स को चैक करूंगा। हर आवश्यक बिंदु पर चर्चा करूंगा।
इस घटनाक्रम के बाद माना जा रहा है कि अब आबकारी नीति को लेकर मंत्रियों की जो भी आपत्तियां हैं, उनका निराकरण होने के बाद ही नीति जारी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नई शराब नीति तैयार करते वक्त उप दुकानें खोले जाने और तहसील अथवा जिले स्तर पर क्लस्टर बनाने से होने वाली आपत्तियों को लेकर चर्चा क्यों नहीं की गई।
आदिवासियों की चिंता
शर्तों पर खरीदनी होगी शराब, नहीं ली तो केस दर्ज होंगे- जनजाति मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने कहा कि क्लस्टर सिस्टम शुरू होने से आदिवासियों पर केस दर्ज होंगे। आदिवासी बहुल 19 जिलों में शराब बनाने वाले ही ठेका लेंगे और छोटे दुकानदारों को उनकी शर्तों के हिसाब से शराब खरीदकर बेचना पड़ेगा। डिस्टलरी से शराब न उठाने पर आदिवासियों पर प्रकरण दर्ज होंगे।
छोटी दुकानों की नीलामी में होगी दिक्कत
खनिज मंत्री जायसवाल का कहना था कि शराब नीति में परिवर्तन कुछ लोगों को ध्यान में रखकर किया गया है। इससे डिस्टलरी यानी शराब निर्माता ही फायदे में रहेंगे, छोटे ठेकेदारों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। भोपाल, इंदौर जैसे शहरों में 75 करोड़ रुपए में ठेका एक शराब बनाने वाले व्यवसायी को दे दिया जाएगा, जिससे स्मगलिंग बढ़ेगी। इन शहरों में 800 से 1000 करोड़ रुपए की शराब बिकती है। यानी 75 करोड़ रु. के बाद स्मगलिंग कर शराब बिकवाई जाएगी। बड़े शहरों में एक क्लस्टर शराब निर्माता ने ले लिया तो छोटी दुकानों की नीलामी में कोई भी नहीं आएगा। तहसील स्तर पर भी ऐसी स्थिति बनेगी, जहां ठेकों की कीमत ज्यादा होने से कोई नीलामी प्रक्रिया में ही भाग लेने नहीं आएगा।
निकाय चुनाव का भी डर.. कांग्रेस को खामियाजा भुगतना पड़ेगा
मंत्रियों का मानना है कि शराब की नई दुकानें खोले जाने से पार्टी को पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। मंत्री तोमर और मंत्री यादव का कहना था कि नई दुकानें खोलने से सरकार की बदनामी होगी। डॉ. गोविंद सिंह और ओमकार सिंह ने कहा कि नई आबकारी नीति के तमाम प्रावधानों पर चर्चा के बाद ही अनुमति दी जाए।
अप्रैल-मई में पंचायत और अक्टूबर में निकाय चुनाव की तैयारी
सरकार पंचायत चुनाव अप्रैल-मई और नगरीय निकाय के चुनाव अक्टूबर में कराने की तैयारी कर रही है। पंचायतों के साथ ही जौरा और आगर मालवा विधानसभा उपचुनाव भी हो सकते हैं। कैबिनेट की अनौपचारिक चर्चा में मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से कहा कि इसी के हिसाब से आगे की तैयारी की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि पंचायत के साथ निकायों के चुनाव भी बैलेट से कराए जाएं।